हुजूर ﷺ पर वही कैसे आती थी आइशा रजियल्लाहू तआला अन्हा से रिवायत है कि, उन्होंने फरमाया की, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम पर वही की शुरुआत सच्चे ख्वाबों की शकल में हुई, आप जो कुछ ख्वाब में देखते, वह सुबह की रोशनी की तरह नमूदार होता, फिर आपको तन्हाई पसंद हो गई | चुनांचे आप गारे हिरा में तन्हाई इख़्तियार फरमाते और कई कई रात घर तशरीफ लाये बगेर इबादत में लगे रहेते | आप खाने पिने का सामान घर से ले जाकर वहां कुछ रोज गुजारते, फिर खदीजा रजियल्लाहू तआला अन्हा के पास वापस आते और इतने ही दिनों के लिए फिर कुछ खाने पिने का सामान ले जाते | एक रोज जबकि आप गारे हिरा में थे, इतने में आपके पास हक़ आ गया और एक फ़रिश्ते ने आकर आपसे कहा : पढो ! आपने फ़रमाया, में पढ़ा हुआ नहीं हु, इस पर फ़रिश्ते ने मुझे पकड़कर खूब दबाया, यहाँ तक की मेरी ताकते बर्दाश्त जवाब देने लगी, फिर उसने मुझे छोड़ दिया और कहा : पढो ! फिर मैंने कहा, में तो पढ़ा हुवा नहीं हु, उसने दोबारा पकड़कर दबोचा, यहाँ तक की मेरी ताकत बर्दाश्त से बहार हो गयी | फिर छोड़ कर कहा, पढो ! मेने फिर कहा की में पढ़ा हुवा नहीं हु, उसने तीसरी बार मु...