उमुरे ईमान | Umure Imaan

Bukhari Sharif - 9

अबू हुरैरा रजि. से रिवायत है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान करते है, आपने फ़रमाया : ईमान की कुछ साठ से ज्यादा टहनियाँ है और शर्म भी ईमान की एक (अहम) टहनी है |

फायदे: हदीस के आखिर में शर्म को खुसूसियत के साथ बयान किया गया है, क्योकि इन्सानी अख़लाक़ में शर्म का बहुत बुलन्द मकाम है, यह वह आदत है जो इन्सान को बहोत से गुनाहो से रोकती है | शर्म सिर्फ लोगो से ही नहीं बल्कि सब से ज्यादा शर्म अल्लाह से होनी चाहिए |  इस बिना पर सब से बड़ा बेहया वह बदबख्त इन्सान है जो गुनाह करते वक्त अल्लाह से नहीं शर्माता, यही वजह है की इन्सान और शर्म के बिच बहुत गहरा रिश्ता है |

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