Eid ki Namaz in Lockdown | Fatwa of Darul Ulum Deoband
दारुल उलूम देओबन्द ने लोकडाउन को ध्यान में रखते हुए ईद की नमाज़ के लिए एक फतवा जारी किया हे जिससे तमाम मुसलमानो की रहनुमाई की जाए | दारुल उलूम देओबन्द ने जो फतवा जारी किया हे वो निचे दिया गया हे |
हज़राते मुफ्तियाने किराम, दारुल इफ्ता, दारुल उलूम देओबन्द
अस्सलामुअलैकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातुहु
मुल्क में जारी लॉकडाउन और समाजी फासला बरक़रार रखने की हिदायत के पेशेनजर दारुल इफ्ता की तरफ से नमाज़-ए जुमा से मुताल्लिक हिदायत हासिल की गयी थी, अब जब के रमजानुल मुबारक का महीना करिबे ख़त्म हे और अभी लॉकडाउन के सिलसिले में कोई सुरते हाल वाज़ेह नहीं हे इसलिए नमाजे ईदुल फ़ित्र के सिलसिले में रहनुमाई की जरुरत है | अगर लॉकडाउन का सिलसिला इसी तरह बरक़रार रहा तो नमाजे ईदुल फ़ित्र की अदाएगी का क्या तरीका होगा रहनुमाई फ़रमाई जाये |
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
ईदैन की नमाज अहनफ़ के नजदीक असाह और मुफ़्ती ब कॉल के मुताबिक वाजिब है और इसके लिए वही शराइत है जो जुमा के लिए है | अलबत्ता जुमा में खुत्बा शर्त है और वो नमाज से पहले होता है और ईदैन में खुत्बा सुन्नत है और वो नमाज के बाद होता है |
लिहाजा अगर ईदुल फ़ित्र तक लॉकडाउन का सिलसिला जारी रहता है और मसाजिद वगैरह में पांच से ज्यादा लोगो को नमाज की इजाजत नहीं होती तो ६ शाबान सन १४४१ हिजरी ( मुताबिक: यकुम अप्रैल सन २०२० ) के फतवे में जिन शराइत और तफ्सीलात के साथ मसाजिद में और घरो की बैठक या बाहरी कमरों में जुमा अदा करने का हुक्म दिया गया है | उन्ही की रिआयत के साथ मसाजिद में और घरो की बैठक या बाहरी कमरों में नमाजे ईद भी अदा की जाये |
और जिन लोगो के लिए नमाजे ईद की कोई सूरत न बन सके, उज्र व मजबूरी की वजह से उनसे नमाजे ईद माफ़ होगी | लिहाजा उन्हें परेशान होने की जरुरत नहीं | अलबत्ता ये हजरात अपने अपने घरो में इनफिरादी तोर पर दो या चार रकअत चाश्त की नमाज पढ़ले तो बहेतर है क्यों के जिन्हे ईद की नमाज न मिल सके उनके लिए फुकहा ने दो या चार रकअत चाश्त की मुस्तहब करार दी है |
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