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Showing posts from May, 2020

Rasulullah SAW Par Wahee Kese Aati Thi

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हुजूर ﷺ पर वही कैसे आती थी आइशा रजियल्लाहू तआला अन्हा से रिवायत है कि, उन्होंने फरमाया की, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम पर वही की शुरुआत सच्चे ख्वाबों की शकल में हुई, आप जो कुछ ख्वाब में देखते, वह सुबह की रोशनी की तरह नमूदार होता, फिर आपको तन्हाई पसंद हो गई | चुनांचे आप गारे हिरा में तन्हाई इख़्तियार फरमाते और कई कई रात घर तशरीफ लाये बगेर इबादत में लगे रहेते | आप खाने पिने का सामान घर से ले जाकर वहां कुछ रोज गुजारते, फिर खदीजा रजियल्लाहू तआला अन्हा के पास वापस आते और इतने ही दिनों के लिए फिर कुछ खाने पिने का सामान ले जाते | एक रोज जबकि आप गारे   हिरा में थे, इतने में आपके पास हक़ आ गया और एक फ़रिश्ते ने आकर आपसे कहा : पढो ! आपने फ़रमाया, में पढ़ा हुआ नहीं हु, इस पर फ़रिश्ते ने मुझे पकड़कर खूब दबाया, यहाँ तक की मेरी ताकते बर्दाश्त जवाब देने लगी, फिर उसने मुझे छोड़ दिया और कहा : पढो ! फिर मैंने कहा, में तो पढ़ा हुवा नहीं हु, उसने दोबारा पकड़कर दबोचा, यहाँ तक की मेरी ताकत बर्दाश्त से बहार हो गयी | फिर छोड़ कर कहा, पढो ! मेने फिर कहा की में पढ़ा हुवा नहीं हु, उसने तीसरी बार मुझे  

Eid ki Namaz in Lockdown | Fatwa of Darul Ulum Deoband

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दारुल उलूम देओबन्द ने लोकडाउन को ध्यान में रखते हुए ईद की नमाज़ के लिए एक फतवा जारी किया हे जिससे तमाम मुसलमानो की रहनुमाई की जाए | दारुल उलूम देओबन्द ने जो फतवा जारी किया हे वो निचे दिया गया हे | हज़राते मुफ्तियाने किराम, दारुल इफ्ता, दारुल उलूम देओबन्द अस्सलामुअलैकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातुहु  मुल्क  में जारी लॉकडाउन और समाजी फासला बरक़रार रखने की हिदायत के पेशेनजर दारुल इफ्ता की तरफ से नमाज़-ए जुमा से मुताल्लिक हिदायत हासिल की गयी थी, अब जब के रमजानुल मुबारक का महीना करिबे ख़त्म हे और अभी लॉकडाउन के सिलसिले में कोई सुरते हाल वाज़ेह नहीं हे इसलिए नमाजे ईदुल फ़ित्र के सिलसिले में रहनुमाई की जरुरत है | अगर लॉकडाउन का सिलसिला इसी तरह बरक़रार रहा तो नमाजे ईदुल फ़ित्र की अदाएगी का क्या तरीका होगा रहनुमाई फ़रमाई जाये | बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम   ईदैन की नमाज अहनफ़ के नजदीक असाह और मुफ़्ती ब कॉल के मुताबिक वाजिब है और इसके लिए वही शराइत है जो जुमा के लिए है | अलबत्ता जुमा में खुत्बा शर्त है और वो नमाज से पहले होता है और ईदैन में खुत्बा सुन्नत है और वो नमाज के बाद होता है |  लिहाजा

Ramzan Hadees 11 | रमजान हदीस ११

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नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इर्शाद है की शबे कद्र में हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम फ़रिश्तो की एक जमात के साथ आते है, और उस शख्स के लिए, जो खड़े या बैठे, अल्लाह का जिक्र  कर रहा है और  इबादत में मशगूल है, दुआ-ए-रहमत करते है और जब ईदुल फ़ित्र का दीन होता है, तो हक़ तआला जल्ल शानुहु अपने फ़रिश्तो के सामने बन्दों की इबादत पर फख्र फरमाते है ( इसलिए  की उन्होंने आदमियों की पैदाइश पर एतराज किया था ) और  दरयाफ्त फरमाते हे की ए फ़रिश्तो ! उस मजदूर का जो अपनी खिदमत पूरी-पूरी अदा करदे क्या बदला है ? वह अर्ज करते है की ऐ हमारे रब ! इसका बदल यही है की उसकी उजरत पूरी दे दी जाये | तो इर्शाद होता है की फरिश्तों | मेरे गुलामो ने और बांदियो ने मेरे फ़रीज़े को पूरा  दिया, फिर दुआ के साथ चिल्लाते हुए ( ईदगाह  की तरफ ) निकले है |  मेरी इज्जत की कसम | मेरे जलाल की कसम, मेरी बख्शीश की कसम, मेरी बड़ी शान की कसम | मेरे बुलन्दी-ए-मर्तबे की कसम, में इन लोगो की दुआ जरूर क़ुबूल करूँगा | फिर उन लोगो को ख़िताब फरमा कर इर्शाद होता है की जाओ, तुम्हारे गुनाह माफ़ कर दिए है और तुम्हारी बुराइयों को नेकियों से बदल दिया है

Ramzan Hadees 10 | रमजान हदीस १०

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हजरत अनस ( रजि ) कहते है की एक मर्तबा रमजानुल मुबारक का महीना आया तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फर्माया की तुम्हारे ऊपर एक महीना आया है, जिस में एक रात है, जो हजार महीनो से अफजल है | जो शख्श इस रात से महरूम रह गया, गोया साडी ही खैर से महरूम रह गया और उसकी भलाई से महरूम नहीं रहता मगर वह शख्श जो हकीकतन महरूम ही है |  संदर्भ :- फजाइल ए आमाल  Anas reports, Once when Ramadan commenced, The Messenger of Allah said, A Month has verily dawned over you wherein lies a night better than one thousand months, However is deprived of its blessings has indeed deprived of (almost) all good. And none is deprived of its good except he who is completely unfortunate Reference :- Fazail E Aamal

लैलतुल कद्र की रात में पिछले गुनाहो की माफ़ी | Ramzan Hadees 9 | रमजान हदीस ९

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नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इर्शाद है की जो शख्श लैलतुल कद्र में ईमान के साथ और सवाब की निय्यत से इबादत के लिए खड़ा हो, उस के पिछले तमाम गुनाह माफ़ कर दिए जाते है | संदर्भ :- फजाइल ए आमाल Rasulullah (SAW) said: Whoever stands in prayer and Ibaadah on the night of Power with sincere faith and with sincere hope of gaining reward, his previous sins are forgiven Reference :- Fazail E Aamal