हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम की बद्दुआ पर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की आमीन
कअब बिन उजारा कहते है की एक मर्तबा नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फर्माया की मिम्बर के करीब हो जाओ | हम लोग हाजिर हो गए | जब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मिम्बर के पहले दर्जे पर कदम मुबारक रखा तो फर्माया 'आमीन ' | जब दूसरे पर कदम रखा तो फिर फर्माया 'आमीन' | जब तीसरे पर कदम रखा तो फिर फर्माया 'आमीन' | जब आप ख़ुत्बे से फारिग हो कर निचे उतरे तो हम ने अर्ज किया की हम ने आज आपसे (मिम्बर पर चढते हुए ) एसी बात सुनी जो पहले कभी नहीं सुनी थी | आप ने इर्शाद फर्माया की उस वक्त जिब्रइल अलैहिस्सलाम मेरे सामने आये थे ( जब पहले दर्जे पर मैंने कदम रखा, तो ) उन्होंने कहा की हलाक हो जाये वह शख्स, जिसने रमजान का मुबारक महीना पाया, फिर भी उसकी मग्फिरत न हुई मैंने कहा आमीन, फिर जब मैं दूसरे दर्जे पर चढ़ा तो उन्होंने कहा, हलाक हो जाये वह शख्श जिसके सामने आपका जिक्र मुबारक हो और वह दुरुद न भेजे | मैंने कहा आमीन, जब मैं तीसरे दर्जे पर चढ़ा तो उन्होंने कहा हलक हो वह शख्श जिसके सामने उसके वालिदैन या उनमे से कोई एक बुढ़ापे को पावे और वे उसको जन्नत में दाखिल न कराए | मैंने कहा, आमीन |
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