07-04-2020 | नमाज के जरिए गुनाहो का झड़ना
हजरत अबूजर रजियल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है कि एक मर्तबा नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सर्दी के मौसम में बाहर तशरीफ़ लाये और पत्ते दरख्तों पर से गिर रहे थे | आपने एक दरख़्त की टहनी हाथ में ली | उसके पत्ते और भी गिरने लगे | आपने फर्माया, ऐ अबूजर ! मुसलमान बन्दा जब इख्लास से अल्लाह के लिए नमाज पढता है, तो उससे उसके गुनाह ऐसे ही गिरते है जैसे यह पत्ते दरख्त से गिर रहे है |
फायदा :- सर्दी के मौसम में दरख्तों के पत्ते ऐसी कसरत से गिरते है की बाज दरख्तों पर एक भी पत्ता नहीं रहता | नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम का पाक इर्शाद है की इख्लास से नमाज पढ़ने का असर भी यही है की उसके सारे गुनाह माफ़ हो जाते है, एक भी नहीं रहता, मगर एक बात काबिले लिहाज है | उलमा की तहक़ीक़ आयाते कुरानिया और अहादीसे नबविया की वजह से यह है की नमाज वगैरह इबादत से सिर्फ गुनाह सगीरा माफ़ होते है | कबीरा गुनाह बगैर तौबा के माफ़ नहीं होते, इसलिए नमाज के साथ तौबा और इस्तगफार का एहतमाम भी करना चाहिए, इससे गाफिल न होना चाहिए, अल-बत्ता हक़ तआला शानुहु अपने फज्ल से किसी के कबीरा गुनाह भी माफ़ फरमा दे, तो दूसरी बात है |
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